आयातित उत्पादों पर ‘समुद्री मार्ग से ढुलाई’ का भुगतान करते समय जीएसटी देने वाले करदाताओं ने अगर इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) नहीं लिया है, तो वे रिफंड का दावा करने के हकदार होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि मोहित मिनरल्स वाद में सुनाए गए उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद समुद्री ढुलाई पर जीएसटी भुगतान कर चुके करदाताओं को रिफंड का दावा करने का अधिकार मिल गया है। इसकी शर्त बस यह है कि करदाताओं ने पहले से आईटीसी न लिया हो। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भारतीय आयातक ‘समग्र आपूर्ति’ पर ‘एकीकृत माल एवं सेवा कर’ (आईजीएसटी) का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। लिहाजा भारतीय आयातक पर सेवा की आपूर्ति के लिए अलग से शुल्क लगाना केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होगा।
गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी
इस मामले में कंपनी ने गुजरात उच्च न्यायालय में समुद्री मालभाड़े पर एकीकृत जीएसटी लगाने के संबंध में सीबीआईसी की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी थी। उच्चतम न्यायालय ने कंपनी के पक्ष में आए उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के भागीदार विवेक जालान ने कहा कि यह आयातकों और जीएसटी करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है। उन्होंने कहा, असल में पहले ही जीएसटी का भुगतान कर चुके करदाता भी अब उसकी वापसी की मांग कर सकते हैं।’’ एन ए शाह एसोसिएट्स में भागीदार नरेश सेठ ने कहा, इस तरह का शुल्क मूलतः भारत के बाहर दो विदेशी पक्षों के बीच होने वाले लेनदेन पर लगने वाले कर की तरह था और यह स्पष्ट रूप से भारत सरकार के अधिकार-क्षेत्र से बाहर है।’’ उन्होंने कहा कि आमतौर पर आयातित माल का मूल्य असल में सीआईएफ (लागत, बीमा, भाड़ा) होता है लिहाजा इस तरह के मूल्य पर सीमा शुल्क और जीएसटी लगाया जाता है। लेकिन सीबीआईसी ने आयातित माल के मूल्य के 10 प्रतिशत को समुद्री मालभाड़ा मानते हुए आयातित माल के मूल्य पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने की भी मांग की। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि यह आईजीएसटी का दोहरा कराधान था क्योंकि माल के मूल्य के हिस्से के रूप में पहले ही कर चुकाया जा चुका है।
Source-https://www.indiatv.in/paisa/business/the-way-for-gst-refund-on-imported-products-by-sea-is-open-experts-2022-05-22-852485