Income tax returns tips : इनकम टैक्स रिटर्न भरना हर टैक्सपेयर के लिए महत्वपूर्ण है. पुरानी टैक्स व्यवस्था में लोग सेविंग करके अच्छा-खासा टैक्स बचाते हैं. परंतु, बिना सेविंग किए भी टैक्स बचाया जा सकता है.

Income Tax Return: अगर कोई आपसे कहे कि बिनी कोई सेविंग किए भी आप इनकम टैक्स में छूट पा सकते हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं. परंतु ऐसा संभव है. पुरानी टैक्स व्यवस्था में लोग सेविंग करके अच्छा-खासा टैक्स बचाते हैं. परंतु, बिना सेविंग किए भी टैक्स बचाया जा सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, आयकर अधिनियम 1961 में कई प्रावधान हैं, जो विभिन्न खर्चों के माध्यम से टैक्स को कम करने की अनुमति देते हैं. आज हम आपको ऐसे की कुछ जरूरी पॉइन्ट्स बताएंगे. लेकिन उससे पहले इनकम टैक्स से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लीजिए.

इनकम टैक्स रिटर्न भरना हर टैक्सपेयर के लिए महत्वपूर्ण है. यह दस्तावेज आपकी वार्षिक आय, निवेश, टैक्स कटौती और भुगतान किए गए टैक्स का विवरण देता है. सही तरीके से और समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करने से न केवल आप चिंतामुक्त रहते हैं, बल्कि लोन एप्लीकेशन या वीज़ा प्रोसेस में भी आपको लाभ मिलता है. आयकर रिटर्न दाखिल करते समय सभी जरूरी दस्तावेज़ जैसे कि फॉर्म 16, निवेश प्रमाणपत्र, बैंक स्टेटमेंट्स, और अन्य महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट तैयार रखना चाहिए. यदि आपको किसी भी जानकारी या सहायता की आवश्यकता हो तो टैक्स विशेषज्ञ या चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है.

एजुकेशन लोन पर ब्याज (सेक्शन 80E)
इनकम टैक्स के सेक्शन 80ई के तहत उच्च शिक्षा हेतु लिए गए लोन पर भुगतान किए गए ब्याज पर टैक्स छूट पाई जा सकती है. इस डिडक्शन की कोई ऊपरी सीमा नहीं है और इसे री-पेमेंट शुरू होने के वर्ष से 8 वर्षों तक क्लेम किया जा सकता है.

बच्चों की ट्यूशन फीस
टैक्सपेयर्स को भारत में किसी भी शैक्षणिक संस्थान को भुगतान की गई ट्यूशन फीस के लिए डिडक्शन का क्लेम करने का अधिकार मिला है. प्रति वर्ष 1,50,000 रुपये तक की डिडक्शन पाई जा सकती है. यह डिडक्शन 2 बच्चों की फुल-टाइम एजुकेशन के लिए लागू होती है और इसमें प्ले-स्कूल, प्री-नर्सरी, और नर्सरी की कक्षाएं भी शामिल हैं. ध्यान दें कि डेवलपमेंट फीस, डोनेशन, या इसी प्रकार के अन्य खर्च इसमें शामिल नहीं हैं.

चैरिटेबल संगठनों को दान (सेक्शन 80G)
आयकर की धारा 80जी के तहत स्वीकृत चैरिटेबल संगठनों को दिए गए दान को टैक्सेबल इनकम से घटाया जा सकता है. संगठन और विशिष्ट शर्तों के आधार पर, डिडक्शन या तो डोनेशन की राशि का 50% या 100% हो सकती है. डोनर को अपने टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय प्राप्तकर्ता का नाम, पैन, पता, और दान की राशि प्रदान करनी होती है.

मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम (सेक्शन 80D)
सेक्शन 80डी के तहत, स्वयं, जीवनसाथी, बच्चों और माता-पिता के लिए मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के भुगतान पर डिडक्शन ली जा सकती है. कोई भी टैक्सपेयर अपने और अपने परिवार के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर प्रति वर्ष 25,000 रुपये तक का दावा कर सकते हैं, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह कटौती 50,000 रुपये तक हो सकती है.

होन लोन का ब्याज और मूलधन (सेक्शन 24B और सेक्शन 80C)
धारा 24बी के तहत, सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी के होम लोन पर भुगतान किए गए ब्याज के लिए प्रति वर्ष 2 लाख रुपये तक का क्लेम कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, धारा 80सी के तहत मूलधन की री-पेमेंट के लिए भी कटौती पाई जा सकती है. इसमें भी आपको सेविंग करने की जरूरत नहीं है.

रेंट पेमेंट (सेक्शन 10)
जो व्यक्ति किराए के आवास में रह रहे हैं, वे धारा 10 के तहत किराए के भुगतान के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं. कटौती की राशि व्यक्ति के वेतन और निवास स्थान के आधार पर निर्भर करती है.

ऊपर बताए गए विकल्पों के जरिए कोई भी व्यक्ति टैक्स कटौती के दावे कर सकता है. इसमें सेविंग का एक भी ऑप्शन नहीं है. हालांकि अपनी टैक्स प्लानिंग के बारे में आपको किसी अच्छे इनकम टैक्स एक्सपर्ट से राय जरूर लेनी चाहिए.

Source : https://hindi.news18.com/news/business/income-tax-returns-tips-how-to-save-tax-without-investment-under-section-80e-80g-80d-24b-and-10-8522270.html

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