भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का कारण लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) माना जा रहा है. विशेषज्ञ इसे हटाने की मांग कर रहे हैं ताकि विदेशी निवेशक वापस आएं. आइये जानते हैं कि एलटीसीजी है क्या और किसे इसे देना .
नई दिल्ली. ट्रेड वार की आशंकाओं के बीच भारतीय शेयर बाजार लगातार दसवें कारोबारी सत्र में भी आज लाल निशान में ही कारोबार कर रहा है. पिछले कुछ महीनों से जारी गिरावट ने निवेशकों को मोटा नुकसान पहुंचाया है. बाजार में इस गिरावट का एक कारण लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) को माना जा रहा है. यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से एलटीसीजी खूब चर्चा में है और सरकार से इसे हटाने की मांग भी बाजार विशेषज्ञ कर रहे हैं. उनका कहना है कि एलटीसीजी हटने से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लौट आएंगे. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर यह एलटीसीजी क्या बला है? कैसे यह शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के मुनाफे पर डाका डालता है?
कैपिटल गेंस टैक्स एक प्रकार का कर है जो किसी संपत्ति को बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है. यह दो तरह का होता है. शार्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) किसी संपत्ति जैसे शेयर और संपत्ति को एक निश्चित अवधि से अधिक समय तक धारण करने के बाद बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है. शेयरों के मामले में यह अवधि 12 महीने है. यानी अगर आप 12 महीने तक किसी शेयर को रखने के बाद उसे बेचते हैं, तो उससे हुए मुनाफे पर आपको एलटीसीजी चुकाना होगा.
कितनी है कैपिटल गेंस टैक्स की दरें
बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन टैक्स की दरों को बढ़ा दिया था. सरकार ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स की दरों ( शेयरों से एक साल के अंदर हुए मुनाफा) को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था, जबकि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया था. यानी अगर अब कोई निवेशक कोई शेयर एक साल के बाद बेचता है तो उसे इस बिक्री से हुए मुनाफे पर 12.5 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा.
मिलती है टैक्स छूट भी
बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेंस टैक्स की दरें बढाते के साथ ही शेयर बाजार निवेशकों को राहत भी दी थी. उन्होंने कैपिटल गेंन टैक्स की छूट सीमा को एक लाख रुपये से बढाकर 1.25 लाख रुपये कर दी थी. यानी शेयरों से एक साल में हुए सवा लाख रुपये तक के लाभ पर किसी तरह का टैक्स निवेशक को नहीं देना होगा.
किसे देना होता है कैपिटल गेंस टैक्स
शेयरों पर कैपिटल गेन्स टैक्स उन लोगों को देना होता है जो शेयरों को एक निश्चित अवधि के लिए धारण करते हैं और बेचते हैं. यानी रिटेल निवेशक हो या फिर विदेशी संस्थागत निवेशक, सभी इस कर के दायरे में आते हैं. जहां तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स की बात है, तो 12.5 फीसदी टैक्स लगने के बाद बाजार में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने वाले लोगों का मुनाफा काफी कम हो जाता है. बाजार में ज्यादा पैसा लगाने वालों पर इसका बोझ ज्यादा पड़ता है.
क्यों उठ रही एलटीसीजी खत्म करने की मांग
भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, जो शेयरों की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स वसूलता है. दिग्गज निवेशक समीर अरोड़ा कैपिटल गेन टैक्स को सरकार की “सबसे बड़ी गलती” बात चुके हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर शेयरों की बिकवाली का कारण यह टैक्स ही है. इस वजह से निवेशक, खासतौर से, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से दूर हो रहे हैं. हालांकि, सरकार ऐसा नहीं मानती है. उसका मानना है कि बाजार की हालिया गिरावट के लिए एलटीसीजी नहीं बल्कि वैश्विक अनिश्चितताएं और ओवरवैल्यूड मार्केट में करेक्शन जिम्मेदार हैं.
Source : https://hindi.news18.com/news/business/success-story-aditya-of-janjgir-is-earning-lakhs-from-poultry-farming-raising-of-sonali-breed-of-chickens-rate-is-250-rupees-per-kg-local18-9075387.html