साल 2023 की शुरुआत ही मोदी सरकार की एक बड़ी योजना GST की सफलता की गाथा से शुरु हुई. दिसंबर 2022 में जीएसटी रिवेन्यू 1,49,507 हजार करोड़ के स्तर पर पहुंच गया और इसमें बीते साल के दिसंबर माह के मुकाबले 15 फीसदी की भारी वृद्धि दर्ज की गई. विपक्षी पार्टियो के सालों तक लेटलतीफी करने और जीएसटी बिल को लागू करने में आनाकानी करने के बावजूद पीएम मोदी अपने संकल्प पर डटे रहे और आज जीएसटी भारत का सबसे बड़ा कर सुधार बनकर उभरा है.
जीएसटी का इतिहास
जीएसटी कानून बनाने का विचार सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में बनाया गया था. इसके बाद 20 फरवरी, 2006 को तत्कालीन वित्त मंत्री ने वर्ष 2006-07 के बजट में 1 अप्रैल, 2010 से जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव रखा. लेकिन तत्कालीन सरकारों ने इस प्रस्ताव को लेकर कभी कोई गंभीरता नहीं दिखाई.
पीएम मोदी ने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद से ही जीएसटी लागू करने को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता रखा. पीएम मोदी के निरंतर प्रयासों के फलस्वरुप 1 जुलाई,2017 से देशभर में जीएसटी लागू किया गया.
पीएम मोदी जीएससी पर अडिग रहे
संसद से जीएसटी बिल पास होने के बाद मध्य रात्रि को संसद के सेंट्रल हाल में दिए अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि बिल किसी एक दल की सिद्धि नहीं बल्कि ये सभी पार्टियों के साझे प्रयासों का परिणाम है.
पीएम मोदी ने राज्यसभा में एक बहस के दौरान जीएसटी काउंसिल की रचना को भारत के सशक्त कॉपरेटिव फेडरलिज्म का एक उत्तम उदाहरण करार दिया था. पीएम मोदी ने अपने विचार रखते हुए कहा था कि जीएसटी के अहम फैसले जीएसटी काउंसिल में लिए जाते हैं. इस काउंसिल में सभी समान हैं, चाहे वो केंद्रीय वित्त मंत्री या सभी राज्यो के वित्त मंत्री हो. जीएसटी के सभी फैसले सर्वानुमति से लिए गए हैं. कॉपरेटिव फेडरलिज्म का इसका बड़ा दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है.
5 साल में जीएसटी सशक्त हुआ
जीएसटी लागू होने के बाद पूरे देश में समान टैक्स दर लागू करना संभव हो सका. इसके साथ ही इससे 17 बड़े टैक्स और 13 सेस इसमें सम्मिलित किए गए हैं. जीएसटी लागू होने से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने के साथ – साथ सरल रजिस्ट्रेशन और तेजी से रिफंड का लाभ भी उद्योगो और व्यापारियो को मिला है.
बीते तीन सालों में जीएसटी कलेक्शन की सकल कर राजस्व में सबसे बड़ी भागीदारी रही है और वर्ष 2021-22 में यह जीडीपी का 2.9 प्रतिशत रहा. जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स पेयर बेस में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. 1 जुलाई 2017 को जहां 66 लाख टैक्स पेयर थे वहीं 1 जून, 2022 के डेटा के मुताबिक ये 112 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 1.4 करोड़ हो गए.
बीते पांच सालो में जीएसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत मोदी सरकार ने राज्य सरकारों की हरसंभव मदद की है. मोदी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के राज्यों को बीते पांच सालो में 5,55,121 लाख करोड़ का जीएसटी कंपन्शेसन दिया है. इसमें विपक्षी पार्टियो के शासन वाले राज्यो में केरल को 26,501 हजार करोड़, पंजाब को 39,997 हजार करोड़,तमिलनाडु को 40,146 हजार करोड़ और पश्चिम बंगाल को 24,842 हजार करोड़ दिए गए हैं.
ई-वे बिल सिस्टम से नई सुविधा
जीएसटी काउंसिल के फैसलों के आधार पर मोदी सरकार ने 1 अप्रैल, 2018 से ई-वे बिल सिस्टम को लागू करने का फैसला किया था. ई-वे सिस्टम लागू होने के बाद सामानों की आवाजाही में लगने वाले समय में भारी कमी दर्ज की गई. इससे विभिन्न राज्यों के सीमाओं पर तैनात चैक पोस्ट को खत्म करने में मदद मिली. इसका लाभ टैक्स का पालन करने और जमा करने में भी मिला. मार्च, 2021 में 7.12 करोड़ ई-वेल बिल जेनरेट किए किए जो इसकी शुरूआत के बाद से सबसे अधिक थे.
जीएसटी की सफलता, पीएम मोदी के भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने और उद्योगो, व्यापारियो तथा आम लोगों को सरल कर व्यवस्था स्थापित कर उन्हें सशक्त करने के लक्ष्य के प्रति निरंतर प्रयास का एक श्रेष्ठ उदाहरण है.
Source:- https://hindi.news18.com/news/nation/regular-gst-growth-in-india-is-result-of-good-policy-and-easy-system-for-traders-by-modi-government-5208849.html