नई दिल्‍ली. देश के रिटेल एवं ई-कॉमर्स व्यापार में अत्यधिक दूषित वातावरण के मद्देनजर जिसमें एफएमसीजी, मोबाइल और अन्य अनेक व्यापार में बड़े कॉर्पोरेट घराने और वैश्विक ग्लोबल कंपनियों द्वारा एकाधिकार, वर्चस्व और प्रतिस्पर्धा-विरोधी कुरीतियों व्यापारिक प्रथाओं के चलते देश के छोटे व्यापारियों के व्यापार को भारी नुकसान हो रहा है. जिससे निपटने के लिए भारत के व्यापारिक समुदाय ने रिटेल व्यापार नीति और ई-कॉमर्स नीति को जल्द लागू करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के साथ-साथ सहकारी मॉडल पर क्लस्टर एवं कंसोर्टियम आधारित व्यापारियों के समूह कोआपरेटिव मॉडल के अंतर्गत बनाकर इस चुनौती का सामना किया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो व्यापारियों का हित सुरक्षित रखने के लिए कैट अदालत का दरवाजा खटखटाने में भी कोई संकोच नहीं करेगा.

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा आज आयोजित एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में जिसमें सभी राज्यों के 250 से अधिक प्रमुख व्यापारी नेताओं ने भाग लिया, ने यह निर्णय लिया. कैट ने 1 जुलाई, 2022 से इस मुद्दे पर एक 90 दिनों के राष्ट्रीय अभियान को चलाने का निर्णय लिया है. कैट ने इस अभियान के रोडमैप और कार्यनीति को अंतिम रूप देने के लिए 25 और 26 जून को नागपुर में दो दिवसीय व्यापारी सम्मेलन आयोजित किया है. पहले चरण में, यह अभियान दिल्ली एनसीआर, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में शुरू किया जाएगा.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि बड़े कॉरपोरेट घरानों और ई-कॉमर्स कंपनियों ने देश के रिटेल व्यापार और ई-कॉमर्स व्यापार में प्रवेश किया है जो उनका मुख्य क्षेत्र नहीं है और उत्पादक कंपनियों के साथ सीधा संबंध कर वितरकों और खुदरा विक्रेता के लंबे समय से स्थापित सप्लाई चैनल को तोड़ने की कोशश कर रहे हैं. इनमें प्रमुख रूप से एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, किराना, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं जो इन कंपनियों की अनैतिक व्यापार प्रथाओं के चलते पीड़ित हैं जबकि अन्य ट्रेड वर्टिकल जैसे कपड़े, रेडीमेड गारमेंट्स, बिल्डर्स हार्डवेयर, पेपर और स्टेशनरी, कंप्यूटर और कंप्यूटर पेरिफेरल्स, खिलौने,दवाएं, उपहार की वस्तुएं, जूते-चप्पल जैसे कारोबार को भी भारी नुकसान हुआ है. अकेले एफएमसीजी क्षेत्र में करीब 4.5 लाख वितरक और 90 लाख खुदरा विक्रेता हैं.

दोनों व्यापारी नेताओं ने आगे कहा कि भारत का रिटेल व्यापार विदेशी वित्त पोषित वैश्विक कंपनियों और बड़े कॉरपोरेट घरानों की कमांडिंग और एकाधिकार नीतियों के कारण संकट में है जिसने एक असमान स्तर का व्यापारिक मैदान बनाया है जहां सीमित वित्त और संसाधनों के कारण व्यापारी बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नही कर सकते है क्योंकि उनकी क्रय शक्ति बेहद सीमित है. खुदरा व्यापार पर कब्जा करने और उस पर आक्रमण करने के लिए ये बड़ी कंपनियां अपनी व्यापारिक कुरीतियों के साथ पारंपरिक खुदरा व्यापार को उखाड़ फेंकने हर संभव प्रयास कर रही हैं.

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए व्यापार का एक क्लस्टर और कंसोर्टियम आधारित सहकारी मॉडल सबसे अच्छा विकल्प है जिसे कैट देश भर में शुरू करेगा. भरतिया और खंडेलवाल ने बताया कि सहकारी मॉडल के तहत कैट व्यापारियों को एक ही व्यापार में कम से कम 50 व्यापारियों के समूह बनाने के लिए शिक्षित और प्रोत्साहित करेगा और जिससे उनके संसाधनों, वित्त, प्रौद्योगिकी और मार्केटिंग को एक इकाई में परिवर्तित किया जा सकेगा और इस तरह वे पर्याप्त मात्रा में धन से सक्षम होंगे जिससे उनकी क्रय शक्ति भी बढ़ेगी और उन्हें उत्पादकों के साथ बातचीत करने और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर सर्वोत्तम सामान प्राप्त करने में मदद मिलेगी. इसी क्रम में खरीदे गए सामान को क्लस्टर के सदस्यों को वितरित किया जा सकता है और तब वे किसी भी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए सक्षम हो जाते हैं.

दोनों ट्रेड लीडर्स ने आगे कहा कि कैट एक कंसोर्टियम स्कीम का भी प्रचार करेगा, जिसके तहत अलग-अलग ट्रेड में काम करने वाले लेकिन उधार देने की क्षमता रखने वाले ट्रेडर्स एक कंसोर्टियम बना सकते हैं और अन्य व्यापारियों के समूहों को फाइनेंस, टेक्नोलॉजी, मार्केटिंग स्किल्स, अपग्रेडेशन, आधुनिकीकरण और मौजूदा का कंप्यूटरीकरण कर सकते हैं. क्लस्टर और कंसोर्टियम स्ट्रीम दोनों सहकारी मॉडल के तहत काम करेंगे और भारत के खुदरा व्यापार और ई-कॉमर्स परिदृश्य के लिए एक बड़ा गेम चेंजर हो सकते हैं.

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इस संदर्भ में कैट केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह से भी संपर्क करेगी और उनसे व्यापारिक समुदाय के लिए एक सहकारी नीति और कर आदि में प्रोत्साहन देने वालों की इकाइयों को प्रोत्साहन देने का आग्रह करेगी साथ ही शाह से एक सहकारी नीति के लिए भी आग्रह करेगा जिसके तहत एक मजबूत और अच्छी तरह से परिभाषित सहकारी नीति के तहत देश भर में विशेष सहकारी पार्क विकसित करने का प्रावधान किया जा सकता है, जिसमें करों में छूट, आसानी से उपलब्धता के संदर्भ में विभिन्न प्रोत्साहनों के आवश्यक तत्व शामिल हैं.

कम ब्याज दरों पर वित्त, तकनीकी जानकारी प्रदान करना, जहां कहीं भी इसकी आवश्यकता हो, खुदरा व्यापार के सभी कार्य क्षेत्रों में अधिक से अधिक लोगों को व्यापार की सहकारी पद्धति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. सहकारी आंदोलन के तहत एक साथ हाथ मिलाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक विशेष सहकारी पार्क विकसित किया जा सकता है. इन पार्कों में खेत से लेकर उपभोक्ताओं तक सभी सुविधाएं होनी चाहिए जिससे वे उत्पाद की लागत कम कर सकें. वहीं इन पार्कों को इन हाउस बैंकिंग व अन्य सुविधाओं के अलावा सभी आवश्यक सरकारी सुविधाओं की वन विंडो सुविधाओं से लैस किया जाए. इस प्रकार के सहकारी पार्क देश के खुदरा व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने में एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

Source-https://hindi.news18.com/news/business/cait-will-start-national-movement-to-force-union-government-to-implement-e-commerce-policy-dlpg-4299482.html

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